लेखनी कविता - कोई नई ज़मीं हो नया आसमां भी हो - फ़िराक़ गोरखपुरी

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कोई नई ज़मीं हो नया आसमां भी हो / फ़िराक़ गोरखपुरी कोई नयी ज़मीं हो, नया आसमाँ भी हो ए दिल अब उसके पास चले, वो जहाँ भी हो अफ़सुर्दगी- ए- ...

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